फांसी क्या है..?
जब किसी व्यक्ति की मौत गले में रस्सी कसने से होती है तो उसे फांसी कहा जाता है. पुराने जमाने में फांसी की सजा एक आम बात थी उस समय फांसी के अतरिक्त और भी बहुत सी सजाएं थी.
भारत में फांसी की सजा का प्रचलन है लेकिन यह सजा केवल उस अपराधी को ही de जाती है जिसने कोई बहुत ही बड़ा अपराध किया हो. अरब देशों में भी यह सजा बहुत आम है ।
फांसी देने के अपराधी के मुंह को काले कपड़े से ढक कर उसके गले में एक रस्सी का फंदा लगा के उसे उस पर लटका दिया जाता है . फांसी देने के लिए जो व्यक्ति नियुक्त होता है उसे जल्लाद कहा जाता है।।
फांसी की सजा सुनाने के बाद जज अपने pen ki नीब क्यों तोड़ देता है...?
अदालत मे जब किसी अपराधी को उसका अपराध साबित हो जाने पर जब जज फांसी की सजा सुनाता है तो वह जिस पेन से यह सजा को लिखता है, तो सजा लिखने के बाद वह उस पेन की नीव (nib of pen) को इसलिए तोड़ता है क्योंकि वह यह सोचता है जिस पेन से किसी की जिंदगी खत्तम हुई हो दुबारा उस पेन का उपयोग न किया जाय.
फांसी देते समय जल्लाद कैदी के कान मे क्या कहता है...?
जब जल्लाद कैदी को फांसी पर लटकाता है तो वह कैदी से माफी मांगता है, और वह कैदी को बताता है कि इसमें उसका कोई दोष नही है वह तो सिर्फ अपना काम कर रहा है।
फांसी सूर्य उदय होने से पहले ही क्यों दी जाती है ...?
आमतौर पर सभी के मन में यह ख्याल जरूर आता है की फांसी हमेशा सुबह सूर्य निकलने से पहले ही क्यों दी जाती है ।
फांसी सुबह देने के पक्ष में हमारे भारत के कानून में भी कुछ स्पष्ट नहीं किया है लेकिन फिर भी इसके दो तीन कारण है जो की हमारे समाज से जुड़े है जिसे सामाजिक कारण कह सकते हैं।
दूसरा इसका एक कारण और भी है कि सुबह सारे कैदी सो रहे होते हैं और जिस कैदी को को फांसी की सजा दी जाती है उसे पूरे दिन अपनी मौत का इन्तजार नहीं करना होगा ।
ऐसा नहीं है की केवल भारत ही एक ऐसा देश जहां यह रिवाज है भारत के अलावा और सभी देशों में भी फांसी सुबह सुबह ही दी जाती है और यह पुराने जमाने से ही चला आ रहा है ।।
फांसी का सामाजिक पहलू
फांसी सुबह देने का कारण एक यह भी है की फांसी एक बहुत बड़े पैमाने पर दी गई सजा है अतः इस घटना के दौरान बहुत ही भीड़ इकट्ठा हो सकती है जिसके कारण कोई दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है , इसलिए फांसी सुबह होने से पहले दी जाती है की जब तक लोग सुबह उठे फंसी हो चुकी हो.
क्या आप जानते हैं फांसी देने से पहले जल्लाद भी फांसी देने का अभ्यास करता है....
जब जल्लाद किसी कैदी को फंसी देने वाला होता है तो वह फांसी देने से दो दिन पहले फांसी देने का अभ्यास करता है इसके लिए वह एक लकड़ी के पुतले को को पहले फंदे पर लटकाता है
फांसी किसे नहीं दी जा सकती ..
दोस्तो किसी भी औरत के कर्मों की सजा उसके बच्चे को नहीं दे जा सकती है मतलब एक गर्भवती महिला को फांसी की सजा नही दी जा सकती है क्योंकि भले ही महिला का अपराध साबित हो चुका हो लेकिन उसके पेट मैं जो बच्चा होता है वो तो निर्दोष होता है इसलिए उसे फांसी की सजा नही दी जा सकती है ।
आमतौर पर सभी ने ये तो जरुर सुना होगा 100 गुनहगार छुट जय लेकिन एक बेगुनाह को सजा नही मिलनी चाहिए।।